उम्र में छूट पाने वाले उम्मीदवारों को एनसीएल प्रमाणपत्र जारी करने के सरकार के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने सही ठहराया

 




निर्णय का सरल विश्लेषण

इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने बिहार सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें लगभग 3500 उम्मीदवारों को पिछड़ा वर्ग के तहत नॉन-क्रीमी लेयर (एनसीएल) प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति दी गई थी। ये वे उम्मीदवार थे जिन्हें पटना हाईकोर्ट के पिछले फैसले के आधार पर आयु में छूट दी गई थी और जिन्होंने भर्ती प्रक्रिया में बाद में आवेदन किया था।

यह भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2014 में शुरू हुई थी, जिसमें बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) ने ग्रुप-ए और ग्रुप-बी की 13,120 रिक्तियों के लिए परीक्षा आयोजित की थी। लंबी कानूनी प्रक्रिया और विवादों के कारण परीक्षा और चयन प्रक्रिया 2021 तक चलती रही।

विज्ञापन के अनुसार, सभी अभ्यर्थियों को 2013-14 वित्तीय वर्ष के एनसीएल प्रमाणपत्र जमा करने थे। लेकिन जिन उम्मीदवारों को बाद में आयु में छूट मिली, वे इस अवधि में प्रमाणपत्र नहीं बना सके। इसके समाधान के लिए, बिहार सरकार ने 2022 में दो पत्र (क्रमांक 7591 और 1928) जारी कर ऐसे उम्मीदवारों को 15 दिनों के भीतर एनसीएल प्रमाणपत्र प्राप्त कर अपलोड करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती दी और कहा कि यदि इन उम्मीदवारों को प्रमाणपत्र जमा करने की अनुमति नहीं मिलती, तो उन्हें नौकरी मिल सकती थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, और अब डिवीजन बेंच ने भी इस निर्णय को बरकरार रखा।

कोर्ट ने पाया कि:

  1. याचिका में उन 3500 उम्मीदवारों में से किसी को भी पक्षकार नहीं बनाया गया था, जिन पर इसका असर पड़ता।

  2. सरकार का उद्देश्य कोर्ट के पूर्व आदेशों का पालन करना था, और इससे याचिकाकर्ताओं को कोई नुकसान नहीं हुआ।

  3. यह निर्णय केवल उन्हीं उम्मीदवारों पर लागू था जो 2013-14 में पात्र थे।

निर्णय का महत्व

यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि सरकार अदालत के निर्देशों के पालन में लचीलापन दिखा सकती है, ताकि योग्य उम्मीदवारों को तकनीकी बाधाओं के कारण न्याय से वंचित न होना पड़े।

साथ ही यह निर्णय यह भी सिखाता है कि किसी भी याचिका में सभी प्रभावित पक्षों को सम्मिलित करना आवश्यक है, अन्यथा याचिका पर सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती।

निर्णीत कानूनी प्रश्न और निर्णय

  • क्या सरकार कोर्ट के आदेशों के आधार पर एनसीएल प्रमाणपत्र पिछली तिथि से जारी कर सकती है?

    • निर्णय: हाँ। कोर्ट ने सरकार के इस निर्णय को वैध और न्यायसंगत ठहराया।

  • क्या बिना प्रभावित पक्षों को पक्षकार बनाए ऐसी याचिका सुनवाई योग्य है?

    • निर्णय: नहीं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

मामले का शीर्षक

कौशिक कुमार एवं अन्य बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

मामला संख्या

एलपीए संख्या 470/2023 (CWJC संख्या 9152/2022 में)

संदर्भ- 2024(4) PLJR (613)

पीठ एवं न्यायाधीशों के नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति श्री नानी टागिया

अधिवक्ताओं के नाम

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्रीमती निवेदिता निर्विकार (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री आर्य अचिंत, सुश्री सुप्रज्ञा

  • प्रतिवादियों की ओर से: श्री पी.के. वर्मा (एएजी-3), श्री संजय कुमार घोषर्वे (एसी टू एएजी-3)

निर्णय की लिंक-

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