पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में रेलवे द्वारा मुआवजा न देने के निर्णय को पलटते हुए एक विधवा महिला को राहत दी है, जिनके पति की मृत्यु ट्रेन से गिरकर हो गई थी। यह मामला रेलवे क्लेम ट्राइब्यूनल द्वारा खारिज कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे "अन्यायपूर्ण" ठहराते हुए मृतक की पत्नी को क्षतिपूर्ति का अधिकार प्रदान किया।
यह घटना 19 जुलाई 2012 की है जब मृतक, जो एक सामान्य यात्री थे, अनुग्रह नारायण रोड रेलवे स्टेशन से हावड़ा जाने वाली ट्रेन (देहरादून-हावड़ा एक्सप्रेस) में चढ़ने का प्रयास कर रहे थे। भीड़ अधिक होने के कारण, वह सामान्य डिब्बे में चढ़ने लगे लेकिन अचानक झटका लगने के कारण उनका संतुलन बिगड़ गया और वे ट्रेन से गिरकर मौके पर ही मारे गए। उनकी पत्नी और बहन उस समय उनके साथ थीं और उन्होंने इस घटना की सूचना दी। बाद में पुलिस द्वारा यू.डी. केस दर्ज किया गया और जाँच में यह स्पष्ट हुआ कि मौत ट्रेन से गिरने के कारण हुई थी।
ट्राइब्यूनल ने महज इस आधार पर मुआवजा खारिज कर दिया कि मृत्यु प्रमाणपत्र और पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट की तिथियों में अंतर था (19 जुलाई बनाम 20 जुलाई)। हालांकि, हाईकोर्ट ने माना कि ऐसी मामूली विसंगतियां पूरे साक्ष्य को नजरअंदाज करने का आधार नहीं हो सकतीं।
यह निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?
यह निर्णय इस बात को पुष्ट करता है कि रेलवे अधिनियम के तहत दी गई क्षतिपूर्ति एक लाभकारी कानून है और इसका उद्देश्य पीड़ित परिवारों को राहत देना है। मामूली तकनीकी त्रुटियों के कारण यदि वास्तविक पीड़ितों को न्याय न मिले, तो यह कानून की आत्मा के विपरीत होगा।
कानूनी मुद्दे जिनका निपटारा हुआ:
क्या मृतक एक वास्तविक (बोना फाइड) यात्री था?
क्या घटना एक "अप्रत्याशित दुर्घटना" (untoward incident) थी?
क्या मामूली दस्तावेजी त्रुटियों के आधार पर दावा अस्वीकार किया जा सकता है?
निर्णय में किन मामलों का उल्लेख हुआ:
Union of India v. Prabhakaran Vijay Kumar, (2008) 9 SCC 527
Union of India v. Rina Devi, (2019) 3 SCC 572
Union of India v. Radha Yadav, (2019) 3 SCC 410
Union of India v. Dilip & Ors., 2019 SCC OnLine SC 2119
Kamukayi & Ors. v. Union of India, 2023 SCC OnLine SC 642
न्यायालय द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण:
अदालत ने माना कि पीड़िता ने प्रथम दृष्टया यह साबित कर दिया कि मृतक ट्रेन यात्रा कर रहे थे और उनकी मृत्यु ट्रेन से गिरने से हुई।
रेलवे द्वारा कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य न देने के कारण अदालत ने दोष रेलवे पर तय किया और "strict liability" सिद्धांत लागू किया।
केस शीर्षक:
Smt. Devanti Devi v. Union of India through General Manager, East Central Railway
केस नंबर:
Miscellaneous Appeal No.1062 of 2016
निर्णय का संदर्भ:
2024(4)PLJR
पीठ और न्यायाधीश:
माननीय श्री न्यायाधीश सुनील दत्ता मिश्रा
वकीलों के नाम:
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री कृष्ण मोहन मुरारी, अधिवक्ता
प्रतिकर्ता की ओर से: श्रीमती पारुल प्रसाद (सी.जी.सी.), श्री शैलेश आनंद, श्री आदित्य आनंद
निर्णय की आधिकारिक लिंक:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MiMxMDYyIzIwMTYjMSNO-aTSvQ6EA5xs=
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