ट्रेन यात्रा के दौरान दुर्घटना में मृत्यु: हाईकोर्ट ने दिया स्पष्ट फैसला
पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि ट्रेन यात्रा के दौरान अनायास गिरकर मृत्यु होने पर, यदि याचिकाकर्ता यह प्रमाणित कर दे कि मृतक एक "बोनाफाइड यात्री" था, तो रेलवे को मुआवजा देना होगा। इस फैसले में न्यायालय ने रेलवे की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें मृतक के पास टिकट न मिलने के आधार पर मुआवजा देने से इनकार किया गया था।
मामला क्या था?
मृतक व्यक्ति विशाखापत्तनम से यात्रा करके गया जंक्शन पहुँचा और 27 अप्रैल 2014 को कोडरमा जाने के लिए टिकट खरीदकर गया-धनबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार हुआ। भारी भीड़ के कारण वह कोच के दरवाजे के पास खड़ा था और यात्रियों की धक्का-मुक्की के कारण ट्रेन से गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
रेलवे ने दावा किया कि मृतक आत्महत्या करने के उद्देश्य से ट्रेन में चढ़ा था और उसके पास टिकट नहीं था, अतः उसे "बोनाफाइड यात्री" नहीं माना जा सकता।
पटना हाईकोर्ट का दृष्टिकोण
न्यायालय ने कहा कि केवल मृतक के पास टिकट नहीं मिलने मात्र से यह मान लेना उचित नहीं होगा कि वह "बोनाफाइड यात्री" नहीं था। यदि याचिकाकर्ता एक शपथ-पत्र दाखिल कर यह साबित कर देता है कि मृतक ने टिकट खरीदी थी और ट्रेन में यात्रा कर रहा था, तो यह प्रथम दृष्टया पर्याप्त है और इसके बाद यह रेलवे की जिम्मेदारी बनती है कि वह विपरीत साक्ष्य प्रस्तुत करे।
इस निर्णय का महत्व
यह फैसला आम नागरिकों के लिए राहत भरा है क्योंकि यह बताता है कि केवल तकनीकी कारणों से जैसे कि टिकट न मिलना, मुआवजा रोकने का आधार नहीं हो सकता। इससे यह सिद्धांत स्थापित होता है कि यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे की है और दुर्घटनाओं के लिए वह जवाबदेह है।
कानूनी प्रश्न जो तय किए गए:
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क्या मृतक "बोनाफाइड यात्री" था?
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क्या मौत "अनपेक्षित दुर्घटना" के अंतर्गत आती है?
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क्या याचिकाकर्ता मृतक पर आश्रित है?
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मुआवजे की पात्रता और राशि क्या होगी?
संबंधित निर्णय जिनका हवाला दिया गया:
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Union of India vs. Rina Devi (2019) 3 SCC 572:
"ट्रेन में चढ़ते या उतरते समय होने वाली मृत्यु 'अनपेक्षित दुर्घटना' मानी जाएगी, और केवल मृतक की लापरवाही से मुआवजे से इंकार नहीं किया जा सकता।"
न्यायालय का अंतिम निष्कर्ष:
रेलवे क्लेम ट्राइब्यूनल का निर्णय सही पाया गया, लेकिन ब्याज दर को संशोधित करते हुए 6% प्रतिवर्ष निर्धारित किया गया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मुआवजा 4 लाख रुपये रहेगा और उसे 2 महीने के भीतर अदा किया जाना चाहिए।
केस शीर्षक:
Union of India vs. Smt. Priyanka Verma
केस नंबर:
Miscellaneous Appeal No.1175 of 2016
निर्णय का संदर्भ: 2024(4) PLJR
पीठ और न्यायाधीश:
माननीय न्यायाधीश श्री सुनील दत्ता मिश्रा
अधिवक्ता:
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अपीलकर्ता की ओर से: श्री अमरेन्द्र नाथ वर्मा (वरिष्ठ पैनल वकील), श्री राकेश कुमार
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प्रतिवादी की ओर से: श्री अनंत कुमार
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