ग्रामिण हत्या मामले में साक्ष्यों की कमजोरी पर पटना उच्च न्यायालय ने दोषियों को किया बरी

 


निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने दिनांक 21 अगस्त 2024 को एक महत्वपूर्ण आपराधिक अपील में सभी अपीलकर्ताओं को बरी कर दिया, जिन्हें सत्र न्यायालय द्वारा हत्या और आपराधिक साजिश के तहत आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। यह मामला वर्ष 2016 में भागलपुर जिले के नवगछिया थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ था, जहां एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इस हत्या की प्राथमिकी मृतक की रिश्तेदार द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें 12 नामजद अभियुक्तों सहित 3 अज्ञात लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। अभियोजन पक्ष ने तीन प्रत्यक्षदर्शियों के बयान पर भरोसा जताया, जो सभी मृतक के परिजन थे। न्यायालय ने पाया कि:

प्रत्यक्षदर्शियों के बयान पर संदेह पैदा होता है क्योंकि स्वतंत्र साक्षियों, जैसे मृतक के चालक और आस-पास के ग्रामीणों को प्रस्तुत नहीं किया गया।

मेडिकल साक्ष्य (पोस्टमार्टम रिपोर्ट) और कथित गोलीबारी की प्रकृति में असंगति पाई गई।

जिन बंदूकों का उपयोग किया गया, उनकी फॉरेंसिक जांच नहीं हुई।

किसी भी अभियुक्त से कोई हथियार या गोला-बारूद बरामद नहीं हुआ।

इन सभी कारणों से अदालत ने अभियोजन की कहानी को संदेहास्पद पाया और यह निर्णय दिया कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के विरुद्ध अपराध को संदेह से परे सिद्ध नहीं कर सका।

इस निर्णय का महत्वयह 

निर्णय दर्शाता है कि किसी भी आपराधिक मामले में अभियोजन पक्ष को स्वतंत्र और विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत करने होते हैं। केवल परिजनों के बयान और प्राथमिकी में नाम दर्ज कर देने मात्र से दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता। यह न्यायिक मानक सामान्य नागरिकों को यह आश्वासन देता है कि बिना पर्याप्त साक्ष्य के कोई व्यक्ति दोषी नहीं ठहराया जाएगा।

तय किए गए कानूनी मुद्दे

क्या केवल रिश्तेदारों के बयानों के आधार पर दोष सिद्ध किया जा सकता है?

क्या स्वतंत्र साक्ष्यों की अनुपस्थिति अभियोजन के मामले को कमजोर बनाती है?

क्या मेडिकल और फॉरेंसिक साक्ष्यों में असंगति अभियोजन के प्रति संदेह उत्पन्न करती है?

पक्षकारों द्वारा संदर्भित निर्णय

Santa Singh v. State of Punjab, AIR 1956 SC 526

Tara Chand v. State of Haryana, AIR 1971 SC 1891

Budhwa v. State of M.P., AIR 1991 SC 4

Dilawar Singh v. State of Delhi, AIR 2007 SC 3234

Ram Singh v. State of U.P., AIR 2024 SC 1176

Md. Babar v. State of Bihar, 2024 (3) PLJR 588

केस शीर्षक

Mukesh Kumar @ Tuntun व अन्य बनाम बिहार राज्य

केस नंबर

CRIMINAL APPEAL (DB) No. 1192, 1242, 1277, 1328, 1360, 1416 of 2017

निर्णय का संदर्भ- 2024(4) PLJR 

पीठ और न्यायाधीशों के नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली और माननीय श्री न्यायमूर्ति रमेश चंद्र मालवीय

वकीलों के नाम जिन्होंने पक्ष प्रस्तुत कियाअपीलकर्ताओं के लिए: श्री सुरेंद्र सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री राजीव कुमार सिंह, श्री साकेत कुमार सिंह, श्री दिनेश चौधरी, श्री आर. पी. शर्मा, श्री मृत्तुंजय कुमार, श्री के. एन. सहाय

राज्य के लिए: श्री सुजीत कुमार सिंह, अपर लोक अभियोजक

निर्णय की आधिकारिक लिंक-

NSMxMTkyIzIwMTcjMSNO-Ig5tRgo4ESc=

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