पटना उच्च न्यायालय ने खनिज रियायतधारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को किया रद्द

 


निर्णय का सरल विश्लेषण

पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक खनिज कंपनी के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकी को रद्द कर दिया है, जिसमें कंपनी पर लगभग 39 करोड़ रुपये मूल्य की रेत बिना वैध ई-चालान के बेचने और परिवहन करने का आरोप था।

प्राथमिकियाँ औरंगाबाद (दाउदनगर थाना) और रोहतास (डेहरी टाउन थाना) में खनन अधिकारियों की शिकायत पर दर्ज की गई थीं, जो प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा प्राप्त जानकारी पर आधारित थीं। ED ने यह जानकारी आयकर विभाग द्वारा एक अन्य कंपनी पर की गई छापेमारी के दौरान प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर दी थी।

याचिकाकर्ता 2015 से 2021 तक औरंगाबाद और रोहतास जिलों में वैध रेत रियायतधारी था। अप्रैल 2021 में लीज सरेंडर के बाद, कंपनी ने अपने वैध स्टॉक को बेचने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बिना सत्यापन किए उसकी K लाइसेंस को रद्द कर दिया गया और प्राथमिकी दर्ज कर दी गई।

न्यायालय ने यह पाया:

  1. दोनों प्राथमिकी लगभग समान थीं और एक ही ईडी पत्र पर आधारित थीं, इसलिए दूसरी प्राथमिकी (डेहरी टाउन) असंवैधानिक है।

  2. प्राथमिकी दर्ज करने से पहले खनन विभाग ने स्वतंत्र जांच नहीं की।

  3. 2019 की बिहार खनिज नियमावली के नियम 39(3) के अनुसार, ई-चालान के बिना रेत का परिवहन एक गैर-संज्ञेय अपराध है, जिसकी अधिकतम सजा 10,000 रुपये का जुर्माना है।

  4. किसी भी आपराधिक मुकदमा शुरू करने से पहले संबंधित जिलाधिकारी की स्वीकृति आवश्यक थी, जो इस मामले में नहीं ली गई।

अतः अदालत ने माना कि चूंकि आरोप गैर-संज्ञेय और धोखाधड़ी रहित हैं, इसलिए आपराधिक कार्यवाही जारी रखना न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

इस निर्णय का महत्व

यह निर्णय वैध खनिज रियायतधारियों को मनमानी आपराधिक कार्यवाही से सुरक्षा देता है। यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई आर्थिक या प्रक्रिया संबंधी उल्लंघन है, तो कानून के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य है। यह सरकार के लिए भी चेतावनी है कि किसी भी राजस्व हानि की जांच और वसूली केवल विधिसम्मत तरीकों से की जानी चाहिए।

निर्णीत कानूनी मुद्दे (Legal Issues Decided)

  • क्या एक ही तथ्य के आधार पर दो प्राथमिकी दर्ज की जा सकती हैं?

  • क्या नियम 56 (संशोधित) पूर्व प्रभावी अवधि पर लागू होता है?

  • अभियोजन से पूर्व जिलाधिकारी की अनुमति आवश्यक है या नहीं?

  • क्या ई-चालान के बिना रेत ले जाना संज्ञेय अपराध है?

पक्षकारों द्वारा उद्धृत निर्णय

  • सीबीआई बनाम वीसी शुक्ला, (1998) 3 SCC 410

  • मनोहर लाल शर्मा बनाम भारत सरकार, (2017) 11 SCC 731

  • हरियाणा राज्य बनाम भजनलाल, 1992 Supp (1) SCC 335

  • टी टी एंटनी बनाम केरल राज्य, (2001) 6 SCC 181

  • अमितभाई शाह बनाम सीबीआई, (2013) 6 SCC 348

  • तारक दास मुखर्जी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 2022 SCC OnLine SC 2121

न्यायालय द्वारा भरोसा किया गया निर्णय

  • मि. हर्ष कंस्ट्रक्शन बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, CWJC No. 111/2023

मामले का शीर्षक आदित्य मल्टीकॉम प्रा. लि. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

मामला संख्या फौजदारी रिट क्षेत्राधिकार मामला संख्या 1597 व 1613/2024

उद्धरण 2024(4)PLJR

पीठ और न्यायाधीशों के नाम माननीय न्यायमूर्ति श्री अरविंद सिंह चंदेल

अधिवक्ताओं के नाम

  • याचिकाकर्ता की ओर से: सुरज समदर्शी, अविनाश शेखर, विजय शंकर तिवारी

  • राज्य की ओर से: श्री एससी XIX एवं श्री एससी XX

  • खान विभाग की ओर से: श्री नरेश दीक्षित

निर्णय लिंक:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTYjMTU5NyMyMDI0IzEjTg==-y4Pf--ak1--5tKhWo=


0 Comments

WhatsApp Call