निर्णय का सरल विश्लेषण:
पटना उच्च न्यायालय ने रोहतास जिले के दो व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सरकारी ज़मीन से अतिक्रमण हटाने के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि प्रशासन ने बिना उचित मापन के उन्हें ज़मीन खाली करने का आदेश दिया, जो अवैध है।
हालांकि, न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके जो यह साबित करे कि वे उस भूमि के वैध स्वामी हैं। वह भूमि “अनावाद सर्वसाधारण” के रूप में चिह्नित है, अर्थात् सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित ज़मीन।
सरकार ने 2019-20 और 2023-24 में दो बार अतिक्रमण संबंधी मामले दर्ज किए थे। दोनों बार मापन और जांच के बाद यह साबित हुआ कि याचिकाकर्ता सार्वजनिक भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं। इसके बावजूद उन्होंने न तो भूमि खाली की और न ही किसी न्यायिक अपील की।
न्यायालय ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता ने कानून का दुरुपयोग करते हुए सरकारी ज़मीन को कब्जे में लेने का प्रयास किया है।
निर्णय का महत्व:
यह निर्णय सार्वजनिक ज़मीन की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। इससे प्रशासन को कानूनी रूप से अतिक्रमण हटाने का अधिकार मिलता है और यह सुनिश्चित होता है कि आमजन के उपयोग के लिए आरक्षित भूमि सुरक्षित रहे।
मुख्य कानूनी प्रश्न व निर्णय:
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क्या याचिकाकर्ताओं के पास ज़मीन पर कोई वैध अधिकार था – नहीं
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क्या सरकारी प्रक्रिया विधि के अनुसार थी – हाँ
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क्या नोटिस वैध थे – हाँ
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याचिका खारिज, अतिक्रमण हटाने के आदेश वैध।
मामले का शीर्षक: रामकांत मिश्रा एवं अन्य बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
मामला संख्या: सिविल रिट याचिका संख्या 8857/2020
उद्धरण: 2024(4)PLJR
पीठ एवं न्यायाधीश का नाम: माननीय न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह
वकील:
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याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अशुतोष त्रिपाठी
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राज्य की ओर से: श्रीमती दिव्या वर्मा, सहायक अधिवक्ता महाधिवक्ता-3
निर्णय का लिंक: https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjODg1NyMyMDIwIzEjTg==-p29So6h9bMo=
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