निर्णय की सरल व्याख्या:
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग को आदेश दिया है कि वह एक याचिकाकर्ता फर्म को ₹58,56,670 का भुगतान करे, जिसने विभाग के आदेश पर दवाएं और चिकित्सा उपकरण आपूर्ति किए थे। याचिकाकर्ता को निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के बाद यह कार्यादेश मिला था।
मामला तब उलझ गया जब यह पाया गया कि कार्यादेश उस समय के सिविल सर्जन-सह-चीफ मेडिकल ऑफिसर, अरवल द्वारा उनके तबादले से ठीक एक दिन पहले और बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति के जारी किया गया था। बाद में विभाग ने उक्त भुगतान यह कहकर नकार दिया कि कार्यादेश प्रक्रियात्मक गड़बड़ी से जारी हुआ था।
हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया और कहा कि:
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यदि कार्यादेश में कोई प्रक्रियागत त्रुटि हुई हो, तो इसके लिए आपूर्तिकर्ता को दंडित नहीं किया जा सकता।
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आपूर्ति किए गए सभी सामान का विभाग द्वारा उपयोग किया गया है और कोई भी बर्बाद नहीं हुआ।
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जब सामान का प्रयोग हो चुका है, तो भुगतान करना विभाग की कानूनी बाध्यता है।
न्यायालय ने आठ सप्ताह के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया। यदि भुगतान देर से होता है, तो याचिकाकर्ता को 8% वार्षिक ब्याज का हक मिलेगा।
निर्णय का महत्व:
यह फैसला सुनिश्चित करता है कि जिन आपूर्तिकर्ताओं ने सही प्रक्रिया से काम किया है और जिनका सामान वास्तव में उपयोग हुआ है, उन्हें विभागीय लापरवाही के चलते भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता। यह निर्णय प्रशासन में पारदर्शिता और आपूर्तिकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
निर्णीत विधिक मुद्दे:
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क्या सरकारी अधिकारी की लापरवाही के कारण आपूर्तिकर्ता को भुगतान से वंचित किया जा सकता है?
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यदि सरकार द्वारा आपूर्ति की गई वस्तुएं उपयोग में लाई जाती हैं, तो क्या भुगतान अनिवार्य है?
पक्षकारों द्वारा उद्धृत निर्णय:
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CWJC No. 7013 of 2020 का आदेश
मामले का शीर्षक: एम/एस गर्ग ड्रग्स बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
मामला संख्या: सिविल रिट न्यायक्षेत्र वाद संख्या 2996 / 2024
उद्धरण: 2024(4)PLJR
न्यायाधीशों की पीठ:
माननीय श्री न्यायाधीश ए. अभिषेक रेड्डी
वकीलों के नाम:
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याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अविनाश शेखर
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प्रतिवादी की ओर से: श्री गवर्नमेंट एडवोकेट 8
निर्णय का लिंक:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMjk5NiMyMDI0IzEjTg==-IsNxEfAZhvM=
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