निर्णय की सरल व्याख्या:
पटना उच्च न्यायालय ने फर्स्ट अपील संख्या 15/2008 में यह निर्णय सुनाया कि जब किसी भूमि विक्रय अनुबंध में दोनों पक्षों की मंशा, साक्ष्य, और आर्थिक तैयारी स्पष्ट नहीं हो, तब ऐसे अनुबंध का विशेष निष्पादन (Specific Performance) नहीं किया जा सकता।
वादकर्ता का दावा था कि उसने प्रतिवादी से दो कट्ठा भूमि 1,05,000 रुपये प्रति कट्ठा की दर से खरीदने का अनुबंध 25.01.2002 को किया था और 60,000 रुपये अग्रिम दिए। प्रतिवादी ने कहा कि पहले ही 18.09.2001 को 1,35,000 रुपये प्रति कट्ठा की दर से अनुबंध हो चुका था और नया दस्तावेज सिर्फ समय विस्तार के लिए था।
ट्रायल कोर्ट ने यह पाया कि 25.01.2002 का अनुबंध विश्वसनीय नहीं है और 18.09.2001 का अनुबंध ही वैध है। साथ ही वादकर्ता ने यह सिद्ध नहीं किया कि वह बाकी राशि देने के लिए हमेशा तत्पर था।
इस निर्णय का महत्व:
यह निर्णय दिखाता है कि कोई भी पक्ष विशेष निष्पादन की मांग तभी कर सकता है जब वह स्वयं पूरी निष्ठा और तत्परता से अनुबंध की शर्तों को निभाने को तैयार हो। यह प्रकरण उन व्यक्तियों के लिए सीख है जो संपत्ति के लेन-देन में स्पष्टता और कानूनी साक्ष्य के बिना आगे बढ़ते हैं।
तय किए गए कानूनी मुद्दे:
क्या 25.01.2002 का अनुबंध वैध है या सिर्फ समय विस्तार?
क्या वादकर्ता विशेष निष्पादन का अधिकारी है?
क्या अनुबंध के मूल्य में अंतर है?
पक्षकारों द्वारा संदर्भित निर्णय:
R. Hemlata Vs. Kashturi (2023 SCC OnLine 381)
K.B. Saha and Sons Pvt. Ltd. Vs. Development Consultant Ltd. (2008) 8 SCC 564
N.P. Thirugnanam Vs. R. Jagan Mohan Rao (1995) 5 SCC 115
P. Ravindranath Vs. Sasikala (2024 SCC OnLine SC 1749)
K.S. Vidyanadam Vs. Vairavan (1997) 3 SCC 1
न्यायालय द्वारा अपनाया गया निर्णय:
वादकर्ता ने न तो अपने पक्ष में पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए, न ही यह साबित किया कि वह अनुबंध की शर्तों को निभाने के लिए तैयार था।
25.01.2002 का अनुबंध वैध नहीं माना गया।
अपील खारिज कर दी गई।
केस शीर्षक:
Radha Krishna Prasad Vs. Ram Bilas Prasad & Ors.
केस नंबर:
First Appeal No. 15 of 2008
निर्णय का संदर्भ: 2024(4) PLJR
पीठ और न्यायाधीशों के नाम:
माननीय श्री न्यायमूर्ति सुनील दत्ता मिश्रा
वकीलों के नाम:
अपीलकर्ता की ओर से: श्री वी.एम.के. सिन्हा, श्री अजय प्रसाद, श्री अजीत कुमार
प्रतिवादी की ओर से: श्री शशि नाथ झा, श्री सनी कुमार
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