निर्णय की सरल व्याख्या
पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक ज़िला परिषद की निर्वाचित अध्यक्ष की वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि वर्तमान अध्यक्ष (प्रतिकर्ता संख्या 8) को वर्ष 2021 में पद से हटाया गया था, इसलिए वे पंचायत चुनाव लड़ने की पात्र नहीं थीं।
याचिकाकर्ता का दावा था कि वर्ष 2021 में पंचायती राज विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत अध्यक्ष को "अडवाइजरी कमेटी" से पद से हटाया गया था, जो 'बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006' की धारा 70(5) के अंतर्गत आता है। इस प्रावधान के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को कदाचार के कारण पद से हटाया जाता है, तो वह अगले 5 वर्षों तक किसी पंचायत पद के लिए अयोग्य होता है।
हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उस समय जिला परिषद का कार्यकाल समाप्त हो चुका था और कोविड-19 के कारण चुनाव नहीं हो पाए थे। इसलिए सरकार ने एक अंतरिम "अडवाइजरी कमेटी" का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष के रूप में संबंधित व्यक्ति को नामित किया गया था। अदालत ने यह माना कि उन्हें ज़िला परिषद के अध्यक्ष पद से नहीं, बल्कि केवल इस अडवाइजरी कमेटी के प्रमुख के रूप में हटाया गया था।
इसलिए अदालत ने कहा कि धारा 70(5) केवल ज़िला परिषद के विधिवत अध्यक्ष पद पर लागू होती है, न कि अस्थायी अडवाइजरी कमेटी के प्रमुख पर। अतः प्रत्याशी की अयोग्यता का दावा अस्वीकार करते हुए, याचिका को खारिज कर दिया गया।
इस निर्णय का महत्व
यह फैसला उन स्थितियों को स्पष्ट करता है जहाँ अस्थायी निकायों के पदाधिकारियों को नियमित पंचायत निकायों के बराबर नहीं माना जाएगा। इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता बनी रहती है और यह सुनिश्चित होता है कि तकनीकी त्रुटियों या अस्थायी व्यवस्थाओं के आधार पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को अयोग्य नहीं ठहराया जाए।
तय किए गए कानूनी मुद्दे
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क्या "अडवाइजरी कमेटी" से हटाना ज़िला परिषद के अध्यक्ष पद से हटाने के बराबर है?
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क्या धारा 70(5) की पाँच वर्ष की अयोग्यता इस स्थिति पर लागू होती है?
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क्या याचिकाकर्ता को इस चुनाव परिणाम के विरुद्ध वैकल्पिक उपाय अपनाना चाहिए था?
पक्षकारों द्वारा संदर्भित निर्णय
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सत्येन्द्र यादव बनाम बिहार राज्य, 2015 (2) PLJR 676: इसमें पाँच वर्ष की अयोग्यता की पुष्टि की गई थी यदि पद से हटाना धारा 70(5) के तहत हुआ हो।
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रवि यशवंत भोयर बनाम जिला कलेक्टर, रायगढ़, (2012) 4 SCC 407: "Misconduct" की परिभाषा और पदच्युत करने की शर्तों पर विस्तृत टिप्पणी।
न्यायालय द्वारा अपनाए गए निर्णय
न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि:
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अडवाइजरी कमेटी एक अस्थायी निकाय थी।
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हटाने का आदेश ज़िला परिषद के पद पर नहीं, बल्कि उस अंतरिम निकाय पर लागू था।
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इसलिए धारा 70(5) लागू नहीं होती।
केस शीर्षक
Rehana Parveen v. The State of Bihar & Others
केस नंबर
CWJC No. 10527 of 2024
निर्णय का संदर्भ
2024(4) PLJR
पीठ और न्यायाधीशों के नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रॉय
वकीलों के नाम
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याचिकाकर्ता के लिए: श्री पुष्कर नारायण शाही (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री अशुतोष कुमार उपाध्याय
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राज्य के लिए: श्री अनिर्बाण कुंडु (S.C.-24)
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ज़िला परिषद के लिए: श्री सुनील कुमार ठाकुर
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प्रतिकर्ता संख्या 8 के लिए: श्री बिंध्याचल सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री अभय कुमार
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राज्य चुनाव आयोग के लिए: श्री रवि रंजन, श्री गिरीश पांडेय
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